EVENTS CONVENT HIGH SCHOOL
18/09/2021 CLASS-8 SESSION 2021-22
HINDI GRAMMER(ESSAY)
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1. विज्ञान के चमत्कार
रूपरेखा
- प्रस्तावना
- विज्ञान के आविष्कार
- विज्ञान से लाभ-हानि
- उपसंहार।
1. प्रस्तावना- आकाश में चमकने वाली बिजली, चमचमाता हुआ सूर्य तथा तारों का टिमटिमाना, बर्फीली पर्वत शृंखलाएँ इत्यादि को देखकर मानव मन में इन्हें जानने एवं समझने की जिज्ञासा उत्पन्न होती है। यही जिज्ञासा विज्ञान को जन्म देती है।
2. विज्ञान के आविष्कार-आज विज्ञान के बल पर व्यक्ति चन्द्रमा पर पहुँच चुका है, समुद्र की गहराइयों को नाप चुका है, हिमालय की चोटी पर पहुँच चुका है। आज वैज्ञानिक खोजों ने व्यक्ति के जीवन में अभूतपूर्व चमत्कार ला दिया है। जो यात्रा पहले हम महीनों-सालों में पूर्ण करते थे, वही अब घण्टों में पूर्ण हो जाती है। आज हमारे पास यात्रा के लिए रेलगाड़ी, बसें तथा हवाई जहाज उपलब्ध हैं। इनसे हमारे समय की बचत हुई है तथा यात्रा सुगम एवं आरामदायक हो गयी है। विज्ञान ने लंगड़े को पैर एवं अन्धों को आँखें प्रदान की हैं। विभिन्न प्रकार की मशीनों का आविष्कार करके भूखों को रोटी दी है।
आज टेलीफोन से हम हजारों मील दूर बैठे हुए व्यक्ति से आसानी से बातचीत कर सकते हैं। टेलीविजन द्वारा पर्वतों एवं देश-विदेश के विभिन्न दृश्यों का अवलोकन करते हैं। ज्ञानवर्द्धक प्रोग्राम देखकर हम अपने ज्ञान में वृद्धि करते हैं। आज चन्द्रमा के दृश्य एवं ध्वनियाँ पृथ्वी पर लायी जा चुकी हैं। अन्य नक्षत्रों से भी सम्बन्ध स्थापित हो चुका है। बिजली के आविष्कार ने मानव को बहुत-सी सुविधाएँ प्रदान की हैं। जैसे-ए. सी. से गर्मियों में भी सर्दियों जैसी ठण्डक मिल जाती है, वाशिंग मशीन से बिना श्रम के मिनटों में कपड़े धुल जाते हैं, रूम हीटर से सर्दियों में कमरा गर्म हो जाता है, बड़े-बड़े कारखाने भी इसी बिजली से चलते हैं। विभिन्न प्रकार की औषधियों की खोज करके अनेक असाध्य बीमारियों का इलाज सम्भव हो गया है। शल्य चिकित्सा से ऑपरेशन करने में मदद मिली है। प्लास्टिक सर्जरी से व्यक्ति को सुन्दरता प्रदान की जा सकती है।
3. विज्ञान से हानि-लाभ-विज्ञान से उद्योग-धन्धों में विकास हुआ है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। यातायात के साधनों से दूरियाँ समाप्त हो गयी हैं। नवीन औषधियों ने मानव को दीर्घ जीवन प्रदान किया है। मनोरंजन के विभिन्न साधनों ने मानव को नवीन उत्साह एवं उमंग प्रदान करके उनके जीवन में व्याप्त नीरसता को समाप्त किया है।
विज्ञान ने दूसरी ओर व्यक्ति को अकर्मण्य बना दिया है। मशीनों के निर्माण ने बेरोजगारी की समस्या को उत्पन्न कर दिया है। विस्फोटक पदार्थों एवं कल-कारखानों ने वायु को प्रदूषित कर दिया है। मनुष्य अधिक स्वार्थी हो गया है तथा वह आलसी होकर अकर्मण्य हो गया है। वह तरह-तरह की बीमारियों से ग्रसित होकर धन प्राप्ति के लिए छटपटा रहा है।
4. उपसंहार-विज्ञान मानव के लिए महान् वरदान सिद्ध हो सकता है यदि हम उसका सृजनात्मक कार्यों के लिए प्रयोग करें। भगवान् हमें सद्बुद्धि दे कि हम विज्ञान के आविष्कारों का प्रयोग मानव के हित के लिए करें। तभी विश्व के कण-कण से सुख-शान्ति एवं मंगल की ऐसी धारा प्रवाहित होगी, जिसमें स्नान करके सम्पूर्ण मानव जाति सुख-चैन तथा सन्तोष का अनुभव करेगी।