Thursday, November 18, 2021

Class-9 Subejct-Hindi Chapter-4 साँवले सपनों की याद

 EVENTS CONVENT HIGH SCHOOL

18/11/2021      CLASS- 9   SESSION 2021-22
SUBJECT :  HINDI 

CHAPTER-4 
साँवले सपनों की याद

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया?
उत्तर-

एक बार बचपन में सालिम अली की एयरगन से एक गौरैया घायल होकर गिर पड़ी। इस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया। वे गौरैया की देखभाल, सुरक्षा और खोजबीन में जुट गए। उसके बाद उनकी रुचि पूरे पक्षी-संसार की ओर मुड़ गई। वे पक्षी-प्रेमी बन गए।

प्रश्न 2.सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं?
उत्तर-
सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के सामने रेगिस्तानी हवा के गरम झोकों और उसके दुष्प्रभावों का उल्लेख किया। यदि इस हवा से केरल की साइलेंट वैली को न बचाया गया तो उसके नष्ट होने का खतरा उत्पन्न हो जाएगा। प्रकृति के प्रति ऐसा प्रेम और चिंता देख उनकी आँखें नम हो गईं।

प्रश्न 3.लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि ‘‘मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?”
उत्तर-
लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा जानती थी कि लॉरेंस को गौरैया से बहुत प्रेम था। वे अपना काफी समय गौरैया के साथ बिताते थे। गौरैया भी उनके साथ अंतरंग साथी जैसा व्यवहार करती थी। उनके इसी पक्षी-प्रेम को उद्घाटित करने के लिए उन्होंने यह वाक्य कहा।

प्रश्न 4.आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) वो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।
(ख) कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा!
(ग) सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे।

उत्तर-
(क) लॉरेंस बनावट से दूर रहकर प्राकृतिक जीवन जीते थे। वे प्रकृति से प्रेम करते हुए उसकी रक्षा के लिए चिंतित रहते थे। इसी तरह सालिम अली ने भी प्रकृति की सुरक्षा, देखभाल के लिए प्रयास करते हुए सीधा एवं सरल जीवन जीते थे।

(ख) मृत्यु ऐसा सत्य है जिसके प्रभाव स्वरूप मनुष्य सांसारिकता से दूर होकर चिर निद्रा और विश्राम प्राप्त कर लेता है। उसका हँसना-गाना, चलना-फिरना सब बंद हो जाता है। मौत की गोद में विश्राम कर रहे सालिम अली की भी यही स्थिति थी। अब उन्हें किसी तरह से पहले जैसी अवस्था में नहीं लाया जा सकता था।

(ग) टापू समुद्र में उभरा हुआ छोटा भू-भाग होता है जबकि सागर अत्यंत विशाल और विस्तृत होता है। सालिम अली भी प्रकृति और पक्षियों के बारे में थोड़ी-सी जानकारी से संतुष्ट होने वाले नहीं थे। वे इनके बारे में असीमित ज्ञान प्राप्त करके अथाह सागर-सा बन जाना चाहते थे।

प्रश्न 5.इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-

साँवले सपनों की याद’ नामक पाठ की भाषा-शैली संबंधी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

1. मिश्रित शब्दावली का प्रयोग-
इस पाठ में उर्दू, तद्भव और संस्कृत शब्दों का सम्मिश्रण है। लेखक ने उर्दू शब्दों का अधिक प्रयोग किया है। उदाहरणतया
जिंदगी, परिंदा, खूबसूरत, हुजूम, ख़ामोश, सैलानी, सफ़र, तमाम, आखिरी, माहौल, खुद। संस्कृत शब्दों का प्रयोग भी प्रचुरता से हुआ है। जैसेसंभव, अंतहीन, पक्षी, वर्ष, इतिहास, वाटिका, विश्राम, संगीतमय, प्रतिरूप।
जाबिर हुसैन की शब्दावली गंगा-जमुनी है। उन्होंने संस्कृत-उर्दू का इस तरह प्रयोग किया है कि वे सगी बहने लगती हैं। जैसे- अंतहीन सफर, प्रकृति की नज़र, दुनिया संगीतमय, जिंदगी को प्रतिरूप। इन प्रयोगों में एक शब्द संस्कृत का, तो दूसरा उर्दू का है।

2. जटिल वाक्यों का प्रयोग-
जाबिर हुसैन की वाक्य-रचना बंकिम और जटिल है। वे सरल-सीधे वाक्यों का प्रयोग नहीं करते। कलात्मकता उनके हर वाक्य में है। उदाहरणतया
‘सुनहरे परिंदों के खूबसूरत पंखों पर सवार साँवले सपनों का एक हुजूम मौत की खामोश वादी की तरफ अग्रसर है।’
पता नहीं, इतिहास में कब कृष्ण ने वृंदावन में रासलीला रची थी और शोख गोपियों को अपनी शरारतों का निशाना बनाया था।

3. अलंकारों का प्रयोग-
जाबिर हुसैन अलंकारों की भाषा में लिखते हैं। उपमा, रूपक, उनके प्रिय अलंकार हैं। उदाहरणतया

  • अब तो वो उस वन-पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो रहे हैं। (उपमा)
  • सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाय अथाह सागर बनकर उभरे थे।

4. भावानुरूप भाषा-
ज़ाबिर हुसैन भाव के अनुरूप शब्दों और वाक्यों की प्रकृति बदल देते हैं। उदाहरणतया, कभी वे छोटे-छोटे वाक्य प्रयोग करते हैं

  • आज सालिम अली नहीं हैं।
  • चौधरी साहब भी नहीं हैं। कभी वे उत्तेजना लाने के लिए प्रश्न शैली का प्रयोग करते हैं और जटिल वाक्य बनाते चले जाते हैं। जैसे

प्रश्न 6.इस पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-

लेखक ने सालिम अली का जो चित्र खींचा है, वह इस प्रकार है-
सालिम अली प्रसिद्ध पक्षी-विज्ञानी होने के साथ-साथ प्रकृति-प्रेमी थे। एक बार बचपन में उनकी एअरगन से घायल होकर नीले कंठवाली गौरैया गिरी थी। उसकी हिफाजत और उससे संबंधित जानकारी पाने के लिए उन्होंने जो प्रयास किया, उससे पक्षियों के बारे में उठी जिज्ञासा ने उन्हें पक्षी-प्रेमी बना दिया। वे दूर-दराज घूम-घूमकर पक्षियों के बारे में जानकारी एकत्र रहे हैं और उनकी सुरक्षा के लिए चिंतित रहे। वे केरल की साइलेंट वैली को रेगिस्तानी हवा के झोकों से बचाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से भी मिले। वे प्रकृति की दुनिया के अथाह सागर बन गए थे।

प्रश्न 7.‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-

‘साँवले सपनों की याद’ एक रहस्यात्मक शीर्षक है। इसे पढ़कर पाठक जिज्ञासा से आतुर हो जाता है कि कैसे सपने? किसके सपने? कौन-से सपने? ये सपने साँवले क्यों हैं? कौन इन सपनों की याद में आतुर है? आदि।

‘साँवले सपने’ मनमोहक इच्छाओं के प्रतीक हैं। ये सपने प्रसिद्ध पक्षी-प्रेमी सालिम अली से संबंधित हैं। सालिम अली जीवन-भर सुनहरे पक्षियों की दुनिया में खोए रहे। वे उनकी सुरक्षा और खोज के सपनों में खोए रहे। ये सपने हर किसी को नहीं आते। हर कोई पक्षी-प्रेम में इतना नहीं डूब सकता। इसलिए आज जब सालिम अली नहीं रहे तो लेखक को उन साँवले सपनों की याद आती है जो सालिम अली की आँखों में बसते थे। यह शीर्षक सार्थक तो है किंतु गहरा रहस्यात्मक है। चंदन की तरह घिस-घिसकर इसके अर्थ तथा प्रभाव तक पहुँचा जा सकता है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं?
उत्तर-

‘साँवले सपनों की याद’ सालिम अली ने पर्यावरण के प्रति अपनी चिंता प्रकट की है। उन्होंने केरल की साइलेंट वादी को रेगिस्तानी हवा के झोंको से बचाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री से मुलाकात की और उसे बचाने का अनुरोध किया। इस तरह अपने पर्यावरण को बचाने के लिए हम भी विभिन्न रूपों में अपना योगदान दे सकते हैं; जैसे-

  • अपने आस-पास पड़ी खाली भूमि पर अधिकाधिक पेड़-पौधे लगाएँ।
  • पेड़-पौधों को कटने से बचाने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करें।
  • लोगों को पेड़-पौधों की महत्ता बताएँ।।
  • हम जल स्रोतों को न दूषित करें और न लोगों को दूषित करने दें।
  • फैक्ट्रियों से निकले अपशिष्ट पदार्थों एवं विषैले जल को जलस्रोतों में न मिलने दें।