Saturday, September 4, 2021

Class 7 Hindi Chapter 5 मीठाईवाला

EVENTS CONVENT HIGH SCHOOL
04/09/2021          CLASS-7         SESSION2021-22(SLOT-1)
HINDI
Chapter-5
 मीठाईवाला  

_______________________________________





पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास


प्रश्न 1.मिठाईवाला अलग-अलग चीजें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?

उत्तर-मिठाईवाला अलग-अलग चीजें इसलिए बेचता था, क्योंकि वह बच्चों का सान्निध्य प्राप्त करना चाहता था। उसके बच्चों एवं पत्नी की मृत्यु असमय हो गई थी। वह अपने बच्चों की झलक इन गली के बच्चों में देखता था। इसलिए वह बच्चों की रुचि की चीजें बेचा करता था। वह बदल-बदल कर बच्चों की चीजें लाया करता था, इसलिए उसके आते ही बच्चे भी उसे घेर लिया करते थे। वह बच्चे की फरमाइशें पूरी करता रहता था। वह कई महीनों के बाद आता था क्योंकि उसे पैसों का कोई लालच नहीं था। इसके अलावे वह इन चीज़ों को तैयार करवाता था तथा बच्चों के उत्सुकता को बनाए रखना चाहता था।


प्रश्न 2.मिठाईवाले में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे?

उत्तरमिठाईवाले का मधुर आवाज में गा-गाकर अपनी चीजों की विशेषताएँ बताना, बच्चों की मनपसंद चीजें लाना, कम दामों में बेचना, बच्चों से अपनत्व दर्शाना आदि ऐसी विशेषताएँ थीं। बच्चे तो बच्चे बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे।


प्रश्न 3.विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं?

उत्तर-विजय बाबू एक ग्राहक थे जबकि मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों ने मोल-भाव के लिए अपने-अपने तर्क दिए। विजय बाबू ने अपने पक्ष में यह तर्क प्रस्तुत करते हुए कहते हैं-फेरीवाले की झूठ बोलने की आदत होती है। देते हैं सभी को दो-दो पैसे में, पर अहसान का बोझ मेरे ऊपर लाद रहे हो।

इसके विपरीत मुरलीवाले ने अपना तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा-ग्राहक को वस्तुओं की लागत का पता नहीं होता, उनका दस्तूर होता है कि दुकानदार चाहे हानि उठाकर वस्तु क्यों न बेचे, पर ग्राहक यही समझते हैं कि दुकानदार उन्हें लूट रहा है।


प्रश्न 4.खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी?

उत्तर-खिलौने वाले के आने पर बच्चे खुश हो जाते थे। बच्चे अति उत्साहित हो जाते थे। उन्हें खेलकूद भूलकर अपने सामान, जूते-चप्पल आदि का ध्यान नहीं रहता। वे अपने-अपने घर से पैसे लाकर खिलौने का मोल-भाव करने लग जाते थे। खिलौनेवाला उनका मन चाहा खिलौने दे देता था और बच्चे उन्हें लेकर काफ़ी खुश हो जाते थे। बच्चे खुशी से पागल हो जाते थे।


प्रश्न 5.रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्ण क्यों हो आया?

उत्तर-रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण इसलिए हो आया क्योंकि खिलौनेवाला की तरह ही इसकी आवाज़ जानी पहचानी थी। खिलौनावाला भी इसी प्रकार मधुर स्वर से गाकर खिलौना बेचा करता था। मुरलीवाला ठीक उसी तरह ही मीठे स्वर में गाकर मुरलियाँ बेचा करता था।


प्रश्न 6.किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?

उत्तर-रोहिणी की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था। इस पर उसने भावुक हो बताया-मैं भी अपने नगर का एक प्रतिष्ठित व्यापारी था। मकान, व्यवसाय, गाड़ी-घोड़े, नौकर-चाकर सभी कुछ था। स्त्री थी, छोटे-छोटे दो बच्चे थे। मेरा वह सोने का संसार था। उसके पास सुख के सभी साधन थे। स्त्री और छोटे बच्चे भी थे। ईश्वर की लीला सभी को ले गई। उसने इन व्यवसायों को अपनाने के निम्नलिखित कारण बताएँ-

मैं इस व्यवसायों के माध्यम से अपने खोए बच्चों को खोजने निकला हूँ। इन हँसते-कूदते, उछलते तथा इठलाते बच्चों में अपने बच्चे की झलक होगी। इन वस्तुओं को बच्चों में बेचकर संतोष का अनुभव करता हूँ। बच्चों के चेहरे की खुशी देखकर मुझे असीम संतोष मिलता है।


प्रश्न 7.‘अब इस बार ये पैसे न लँगा’-कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा?

उत्तर-मिठाईवाले के जीवन का रहस्य कोई नहीं जानता था लेकिन जब उसने अपने जीवन की सारी गाथा दादी और रोहिणी को बताई। उसी समय रोहिणी के छोटे-छोटे बच्चे चुन्नू-मुन्नू आकर मिठाई माँगने लगते हैं। वह दोनों को मिठाई से भरी एकएक पुडिया देता है। रोहिणी पैसे देती है तो उसका यह कहना-“अब इस बार ये पैसे न लँगा।” इस बात को दर्शाता है। कि उसका मन भर आया और ये बच्चे उसे अपने बच्चे ही लगे।


प्रश्न 8.इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?

उत्तर. स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् संविधान ने स्त्री-पुरुष को समान अधिकार दिए और आज शिक्षा के प्रसार व आधुनिकीकरण से भी समाज में बदलाव आया है। आज स्त्रियाँ पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। लेकिन भारत के कुछ पिछड़े गाँव व स्थान ऐसे भी हैं जहाँ स्त्रियों को आज भी पर्दे में रहना पड़ता है। ऐसे में वे चिक के पीछे बात करने को मजबूर होती हैं। हमारी राय में यह पूर्णतया गलत है क्योंकि स्त्री-पुरुष दोनों समाज के आधार हैं। दोनों को समान दर्जा मिलना चाहिए।


इन पिछड़े वर्गों में जागृति लाने हेतु सरकार व युवावर्ग को आगे आना होगा और लोगों की सोच बदलनी होगी जिससे साक्षर राष्ट्र का निर्माण किया जा सके।


कहानी से आगे

प्रश्न 1.मिठाईवाले के परिवार के साथ क्या हुआ होगा? सोचिए और इस आधार पर एक और कहानी बनाइए?

उत्तर .मिठाईवाले का परिवार अवश्य ही किसी दुर्घटना का शिकार हुआ होगा। कहानी-एक गाँव में एक मिठाईवाले की दुकान थी। तरह-तरह की मिठाइयाँ वह बेचा करता था। छोटे-बड़े सभी उसकी मिठाइयाँ शौक से खाते थे। दुकान के साथ ही उसका घर भी था। जब भी दुकान पर कोई ग्राहक न होता वह अपने बच्चों के साथ खेलता और खुश होता था। उसके बच्चे बहुत शालीन थे। कभी भी उसे किसी बात के लिए परेशान न करते। एक दिन वह अपनी पत्नी व बच्चों के साथ गाँव में किसी रिश्तेदार की शादी में गया। खुशी-खुशी गाँव वालों ने भी उसकी सारी तैयारियाँ करवाईं। उसने कपड़े, गहने, बच्चों का सामान बहुत कुछ खरीदा। गाँव के कुछ लोग उसे स्टेशन तक छोड़ने भी गए।


रेलगाड़ी में पत्नी, बच्चे व वह स्वयं सभी बहुत खुश थे। अचानक तेज़ रफ़्तार से चलती गाड़ी के कुछ डिब्बे रेल की पटरी से उतर गए व बुरी तरह से उलट गए। न जाने कितने ही लोग इस हादसे में मर गए। मरने वालों में उसकी पत्नी व बच्चे भी थे। मिठाईवाला तो जैसे पागल ही हो गया। वह गाँव वापस आ गया। आज भी इतने वर्षों बाद वह इस हादसे को भूल नहीं पाया। गुमसुम न जाने कौन-सी यादों में खोया रहता है। अपनी सारी यादों को ताज़ा रखने के लिए उसने अपने घर को एक अनाथ आश्रम बना डाला। न जाने अनाथ बच्चों को पालने में वह कौन-सी खुशी प्राप्त करता है।


प्रश्न 2.हाट-मेले, शादी आदि आयोजनों में कौन-कौन-सी चीजें आपको सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं? उनको सजाने बनाने में किसका हाथ होगा? उन चेहरों के बारे में लिखिए।

उत्तर-हाट-मेले, शादी आदि आयोजनों में हमें मिठाइयाँ गोल-गप्पे, चाट-पापडी, फूट-चाट, चीलें, छोले-भटूरे, सांभर-डोसा, इडली, चाइनिज फूड व इनके अलावा विभिन्न खाद्य पदार्थ आकर्षित करते हैं। उनको बनाने सजाने में विभिन्न पाक कला विशेषज्ञों का हाथ होता है। जैसे खाद्य पदार्थों के लिए हलवाई। इनके पहनावे अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग हो सकते हैं। जैसे समोसे बनाने वाला समोसे बनाने में, सांभर डोसा बनाने वाला सांभर में, इडली बनाने वाला इडली बनाने में, आइसक्रीम बनाने वाला आइसक्रीम बनाने में आदि।