EVENTS CONVENT HIGH SCHOOL
05/01/2022 CLASS- 9 SESSION 2021-22
SUBJECT :HINDI
CHAPTER-15
मेघ आए
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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1.बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए।
उत्तर-
बादलों के आने पर प्रकृति में निम्न गतिशील क्रियाएँ हुई
- बयार नाचती-गाती चलने लगी।
- पेड़ झुकने लगे, मानो वे गरदन उचकाकर बादलों को निहार रहे हों।
- आँधी चलने लगी। धूल उठने लगी।
- नदी मानो बाँकी नज़र उठाकर ठिठक गई। पीपल का पेड़ झुकने लगा।
- लताएँ पेड़ों की शाखाओं में छिप गईं।
- तालाब जल से भर गए।
- क्षितिज पर बिजली चमकने लगी।
- धारासार जल बरसने लगा जिसके कारण जगह-जगह से बाँध टूट गए।
प्रश्न 2.निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं?
- धूल
- पेड़
- नदी
- लता
- ताल
उत्तर-नीचे दिए गए शब्द और उनके प्रतीक इस प्रकार हैं-
- धूल- मेघ रूपी मेहमान के आगमन से उत्साहित अल्हड़ बालिका का प्रतीक है।
- पेड़- गाँव के आम व्यक्ति का प्रतीक है जो मेहमान को देखने के लिए उत्सुक है।
- नदी- गाँव की नवविवाहिता का प्रतीक है जो पूँघट की ओर से तिरछी नज़र से मेघ को देखती है।
- लता- नवविवाहिता मानिनी नायिका का प्रतीक है जो अपने मायके में रहकर मेघ का इंतजार कर रही है।
- ताल- घर के नवयुवक का प्रतीक है जो मेहमान के पैर धोने के लिए पानी लाता है।
प्रश्न 3.लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों?
उत्तर-लता ने बादल रूपी मेहमान को किवाड़ की ओट में छिपकर देखा।
क्यों—वह मानिनी है। वह अपने प्रियतम के कई दिनों के बाद आने पर उनसे रूठी हुई भी है और उन्हें देखे बिना भी नहीं रह पाती।
प्रश्न 4.भाव स्पष्ट कीजिए
- क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की
- बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, पूँघट सरके।
उत्तर-
- भाव यह है कि एक साल बीतने को हो रहे थे पर नवविवाहिता लता का पति मेघ उससे मिलने नहीं आया था। इससे लता के मन में जो भ्रम बन गया था वह मेघ के आने से टूट गया और वह क्षमा माँगने लगी।
- मेघ रूपी मेहमान को देखने के लिए नदी रूपी नवविवाहिता ठिठक गई और उसने पूँघट उठाकर मेहमान को देखा।
प्रश्न 5.मेध रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
उत्तर-
मेघ के आने से बयार चलने लगी। पेड़ झुकने लगे। आँधी और धूल चलने लगी, नदी बाँकी होकर बहने लगी। बूढे पीपल झुकने लगे। लताएँ पेड़ की ओट में छिपने लगीं। तालाब जल से भर उठे। आकाश में मेघ छा गए। अंत में धारासार वर्षा हुई।
मेहमान (दामाद) के आने पर गाँव की कन्याएँ और युवतियाँ प्रसन्न हो उठीं। लोग अपने खिड़की-दरवाजे खोलखोलकर उन्हें निहारने लगे। आते-जाते लोग उन्हें गरदन उठाकर देखने लगे। नवयुवतियों ने पूँघट सरकाकर उन्हें निहारा। बूढी स्त्रियाँ विनम्रतापूर्वक उनका स्वागत करने लगीं। अतिथि की प्रिया मान करने लगी। फिर अचानक वह क्षमा माँगने लगी। दोनों की आँखों से प्रेमाश्रु बह चले।
प्रश्न 6.मेघों के लिए ‘बन-ठने के, सँवर के आने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर-
मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के आने की बात इसलिए कही गई है क्योंकि वर्षा के बादल काले-भूरे रंग के होते हैं। नीले आकाश में उनका रंग मनोहारी लगता है। इसके अलावा गाँवों में बादलों का बहुत महत्त्व है तथा उनका इंतजार किया जाता है।
प्रश्न 7.कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकार के उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर-
मानवीकरण-
- मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के
- आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली
- पेड़ झुक झाँकने लगे, गरदन उचकाए
- धूल भागी घाघरा उठाए
- बाँकी चितवन उठा, नदी ठिटकी
रूपक – क्षितिज-अटारी गहराई।
प्रश्न 8.कविता में जिन रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है, उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कविता में अनेक रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है; जैसे-
- मेहमान के आने की सूचना पाकर सारा गाँव उल्लसित हो जाना।
- उत्साहित एवं जिज्ञासु होकर मेहमान को देखना।
- घर के बुजुर्ग द्वारा मेहमान का आदर-सत्कार करना।
प्रश्न 9.कविता में कवि ने आकाश में बादल और गाँव में मेहमान (दामाद) के आने का जो रोचक वर्णन किया है, उसे लिखिए।
उत्तर-
मेघ रूपी शहरी पाहुन के आते ही पूरा गाँव उल्लास से भर उठा। शीतल बयार नाचती-गाती हुई पाहुन के आगे-आगे चलने लगी। सभी ग्रामवासियों ने अपने दरवाजे और खिड़कियाँ खोल लिए, ताकि वे पाहुन के दर्शन कर सकें। पेड़ उचक-उचककर पाहुन को देखने लगे। आँधी अपना घाघरा उठाए दौड़ चली। नदी बंकिम नयनों से मेघ की सज-धज को देखकर हैरान हो गई। गाँव के पुराने पीपल ने भी मानो झुककर नमस्ते की। आँगन की लता संकोच के मारे दरवाजे की ओट में सिकुड़ गई और बोली-तुमने तो बरसों बाद हमारी सुध ली है। गाँव का तालाब पाहुन के स्वागत में पानी की परात भर लाया। क्षितिज रूपी अटारी लोगों से लद गई। बिजली भी चमकने लगी। इस प्रकार पूरा गाँव उल्लास से तरंगित हो उठा।
प्रश्न 10.काव्य-सौंदर्य लिखिए-
पाहन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
उत्तर-
भाव सौंदर्य- इन पंक्तियों में शहर में रहने वाले दामाद का गाँव में सज-सँवरकर आने का सुंदर चित्रण है।
शिल्प-सौंदर्य
- पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के’ में उत्प्रेक्षा अलंकार, ‘बड़े बन-ठनके’ में अनुप्रास तथा ‘मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के’ में मानवीकरण अलंकार है।
- भाषा साहित्यिक खड़ी बोली है।
- रचना तुकांतयुक्त है।
- दृश्य बिंब साकार हो उठा है।
- माधुर्य गुण है।