EVENTS CONVENT HIGH SCHOOL
14/01/2021 CLASS- 9 SESSION 2021-22
SUBJECT :HINDI
CHAPTER-13
ग्राम श्री
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लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.चाँदी की उजली जाली के समान किसे कहा गया है? यह जाली कहाँ दिखाई दे रही है?
उत्तर-
सूरज की सफ़ेद किरणों को चाँदी की उजली जाली के समान कहा गया है। यह जाली खेतों में दूर-दूर तक फैली हरियाली से लिपटी हुई दिखाई दे रही है।
प्रश्न 2.तिनकों पर ओस की बूंदें देखकर कवि ने क्या नवीन कल्पना की है? और क्यों?
उत्तर-
तिनकों पर ओस की बूंदों को देखकर कवि ने हरे रक्त की नवीन कल्पना की है क्योंकि तिनकों पर पड़ी ओस की बूंदें हवा से हिल-डुल रही हैं। इससे बूंदें तिनकों के हरे रक्त-सी प्रतीत हो रही हैं।
प्रश्न 3.‘ग्राम श्री’ कविता के आधार पर बताइए कि आकाश कैसा दिखाई दे रहा है?
उत्तर-
‘ग्राम श्री’ कविता से ज्ञात होता है कि आकाश चिर निर्मल विस्तृत नीले पर्दे या फलक के समान है। यह विशाल परदा हरी-भरी धरती पर झुका हुआ है।
प्रश्न 4.धरती रोमांचित-सी क्यों लगती है? यह रोमांच किस तरह प्रकट हो रहा है?
उत्तर-
धरती रोमांचित-सी इसलिए लग रही है क्योंकि गेहूँ और जौ में बालियाँ आ गई हैं। जिस तरह रोमांचित होने पर हमारे शरीर के रोएँ खड़े हो जाते हैं, उसी प्रकार गेहूँ जौ की बालियों में दानों पर लगे नुकीले भाग को देखकर लगता है कि ये धरती के रोम हैं जिनसे उसका रोमांच प्रकट हो रहा है।
प्रश्न 5.सरसों फूलने का वातावरण पर क्या असर पड़ा है? इसे झाँककर कौन देख रहा है?
उत्तर-
सरसों के फूलने से वातावरण में तेल की गंध भर गई है जो हवा के साथ उडती फिर रही है। इस पीली-पीली फूली सरसों को अलसी की कली हरी-भरी धरती से झाँक-झॉक कर देख रही है।
प्रश्न 6.खेतों में खड़ी मटर के सौंदर्य का वर्णन ‘ग्राम श्री’ कविता के आधार पर कीजिए।
उत्तर-
खेतों में मटर की फ़सल खड़ी है। उस पर रंग-बिरंगे फूल और फलियाँ आ चुकी हैं। इन फूलों को देखकर लगता है कि मटर सखियों के संग हँस रही है। वह अपनी मखमली पेटियों जैसे छीमियों में बीजों की लड़ी छिपा रखी है।
प्रश्न 7.तितलियों के उड़ने से वातावरण पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? इस दृश्य को देखकर कवि अनूठी कल्पना कर रहा है?
उत्तर-
पेड़-पौधे एवं फ़सलों पर रंग-बिरंगे सुंदर फूल खिले हैं। ये फूल हवा के साथ झूम रहे हैं तितलियाँ उड़ती-फिरती एक फूल से दूसरे फूल पर आ जा रही हैं। इससे वातावरण अत्यंत सुंदर बन गया है। इनको देखकर कवि यह कल्पना करता है कि स्वयं फूल ही उड़कर एक डाल से दूसरी डाल पर जा रहे हैं।
प्रश्न 8.अमरूद, बेर और आँवला जैसे फल और उनके पेड़ कवि का मन क्यों लुभा रहे हैं?
उत्तर-
कच्चे हरे दिखाई देने वाले अमरूद अब पककर पीले हो गए हैं और उन पर लाल-लाल चित्तियाँ पड़ गई हैं। बेर के फल अब पककर सुनहरे और मीठे हो गए हैं। आँवले की डालियाँ अब छोटे-छोटे आँवलों से जड़ी हुई दिखाई दे रही हैं। इस कारण ये फल और पेड़ कवि का मेन लुभा रहे हैं।
प्रश्न 9.कवि ने हरी थैली किसे कहा है और क्यों ?
उत्तर-
कवि ने शिमला मिर्च के पौधों पर आई बड़ी-बड़ी मिरचों को हरी थैली कहा है। ये मिर्च गुच्छों के रूप में इन पौधों पर लटक रहे हैं। इन्हें देखकर लगता है कि बड़ी-बड़ी हरी-हरी थैलियाँ लटक रही हैं।
प्रश्न 10.कवि द्वारा हरियाली और तारों का किस तरह मानवीकरण किया गया है? ‘ग्राम श्री’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
हरियाली पर सरदियों की धूप पड़ने से लग रहा है कि हरियाली हँस रही है जो धूप के साथ मिलकर सुखपूर्वक अलसाई सी सो रही है। शाम के समय ओस पड़ने से रात भीगी-सी लग रही है। ऐसी रात में तारों को देखकर लगता है कि वे सपनों में खोए हुए हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.प्रकृति सतत परिवर्तनशील है। ‘ग्राम श्री’ कविता में वर्णित आम, पीपल और ढाक के पेड़ों के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘ग्राम श्री’ कविता में एक ओर दर्शाया गया है कि आम के पेड़ों पर अब सोने और चाँदी के रंग के बौर आ चुके हैं। इससे सारी डालियाँ मंजरियों-सी जड़ी हुई लग रही हैं। दूसरी ओर पीपल और ढाक के पेड़ अपनी पुरानी पत्तियाँ गिराते जा रहे हैं। पत्तियाँ गिरने से ढूँठ जैसे दिखने वाले ये पेड़ सौंदर्यहीन हो गए हैं जबकि आम के पेड़ का सौंदर्य बढ़ गया है। इस तरह एक ओर सौंदर्य की सृष्टि हो रही है तो दूसरी ओर समाप्ति। इस तरह हम कह सकते हैं कि प्रकृति सतत परिवर्तनशील है।
प्रश्न 2.‘ग्राम श्री’ कविता में कुछ पेड़ वातावरण की सुंदरता में वृद्धि कर रहे हैं तो कुछ वातावरण को महका रहे हैं। वातावरण को सुगंधित बनाने वाले इन पेड़ों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
‘ग्राम श्री’ कविता में आम, अमरूद, आँवला आदि ऐसे अनेक पेड़ों का उल्लेख है जो वातावरण की सुंदरता बढ़ा रहे हैं तो कुछ पेड़ ऐसे भी हैं जो वातावरण को सुगंधित बना रहे हैं। ऐसे पेड़ों में कटहल, जामुन, आडू, नींबू, अनार आदि प्रमुख हैं। इन पर फूल आ गए हैं जिसकी सुगंध चारों तरफ़ फैल रही है। इसके अलावा खेतों में धनिया भी उगी है जो अपनी महक बिखेर रही है।
प्रश्न 3.गंगा के किनारों का सौंदर्य देखकर कवि अभिभूत क्यों है? ‘भ श्री’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
गंगा के दोनों किनारों की चमकती रेत धूप में सतरंगी प्रतीत हो रही है। हवा से पानी के लहराने के कारण रेत पर टेढ़ी मेढी रेखाएँ बन गई हैं, जो साँपों के चलने से बनी हुई लगती है। इनके किनारे सरपत से लँकी हुई तरबूजों की खेती सुंदर लग रही है। इसी सरपत नामक लंबी-लंबी घास से बनी कुछ झोपड़ियाँ भी हैं, जिनमें बैठकर तरबूजों एवं सब्जियों की रखवाली की जाती है। पानी में पक्षी अपनी-अपनी क्रीड़ा में व्यस्त हैं। यह सब देखकर कवि अभिभूत है।